प्रिय पाठकों, नमस्कार | मेरी पिछली पोस्ट पर उत्साहवर्धन के लिए मै आप सब का शुक्रगुजार हूँ | जहाँ मेरी पिछली कविता कोरी कल्पना पर आधारित थी, आशा करता हूँ कि आज की कविता आपको वास्तविकता के धरातल पर ले आएगी |
नवरात्रि और दुर्गापूजा की ढेरो शुभकामनाओं के साथ,
-अनाड़ी Ashish
नवरात्रि और दुर्गापूजा की ढेरो शुभकामनाओं के साथ,
-अनाड़ी Ashish
एक मकड़ी
भटक रही है,
छत से लटके जाले में,
व्याकुल,
शिकार की तलाश में,
जैसे हफ़्तों से
उसे, खाने को कुछ न मिला हो|
इतने में
एक पतंगा, अभागा
जा फंसा जाले में
फड़फड़ाता हुआ,
और मकड़ी ने
उसे खाया,
बड़े चाव से|
2 ने कुछ कहा:
Ashish! Hunger and satiation are always great metaphors in creating poetry... u tried ur best it seems gud
Thank you Ganesh for your encouraging words...i guess people like to read more fantasy, love and dreams :):)
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