Find Me at :

Ads 468x60px

October 25, 2011

कब मनाएंगे दीपावली?

दिवाली और धनतेरस की शुभकामनाओं के साथ,
 -अनाड़ी ASHISH


आज दीपावली है,  
सारा जग प्रकाशित है  
दीप श्रृंखलाओं से,  
अँधेरा मिटाने को  
हजारों दीपक जले हैं  

किन्तु अंतर्मन का क्या  
वहां तो अज्ञानता का तिमिर है,  
अविश्वास का घना कोहरा है  
और इर्ष्या की कालिख भी,  

मै सोच रहा हूँ ; क्या  
कभी हटेगी निराशा की बदली   
कब होगा ज्ञान का प्रकाश,  
कभी जल पायेगी सौहार्द की लौ  
कब घुलेगी प्रेम की मिठास,  

काश, ऐसा शीघ्र हो ;  
तब हर दिन मानेगी दिवाली,  
और मिट जायेगा इस जीवन से,  
धरा से, तम का निशान |  

October 14, 2011

आखें...

नमस्ते, पाठकों | आँखें कभी छुपाये रहती हैं कितनी ख्वाहिसें कितने सपने और कभी कितनी सहजता से कहे देती हैं कुछ अकथ कहानियां; प्रेम, खुशियाँ सुख-दुःख सब कुछ तो बयां करती आई हैं आँखें | सुंदरियों के नैना तो हमेशा से कवियों और गीतकारों को उलझाते आये हैं | प्रस्तुत पंक्तियाँ भी कुछ ऐसे ही भाव व्यक्त करती हैं...आशा है आपको पसंद आएँगी |
-अनाड़ी Ashish


    रात सी काली स्याह आँखें
    जिनमें जीवन के अनकहे-अनछुए रहस्य छुपते हों,
    अँधेरे में;


    तारों सी चमकीली आँखें 
    जहाँ ताकने पर हताशा को भी एक किरण दिखाई दे,
    आशा की;


    कमलिनी सी कोमल आँखें 
    जो हजारों इच्छाएं और लाखो सपने संजोये हो, 
    परत दर परत;


    सीपिया सजल आँखें
    जिनमें अश्रु-पूरित मोतियों के भण्डार भरे हों,
    असीमित, अनंत;


    नशीली, शर्मीली आँखें 
    जिनकी झलक मधुशाला के नशे को फीका कर दे;
    ऐसी आँखों में 
    झांकने का,
    डूबने का, उतराने का,
    मन करता है|
          *image source The Wright Stuff