ठहरा-ठहरा था सब,
बेज़ार, बेरंग पतझड़ सा;
तुम आई
लगा जीना कुछ है
एक उद्देश्य मिला था
रोशनी देखी थी तुममें;
ले गया नव-कुसुमित खुशियों को,
रोशनी को, तुमको
मुझसे छीन; कहीं दूर;
एक बार फिर अँधेरा है
फिर जिन्दगी वीरान है
एक बार फिर अकेला हूँ मैं |
उक्त कविता Eric Segal के उपन्यास 'Love Story' से प्रभावित है|
आशा है आपको पसंद आई - अनाड़ी Ashish