Find Me at :

Ads 468x60px

Showing posts with label एकाकी मन. Show all posts
Showing posts with label एकाकी मन. Show all posts

November 27, 2011

मैं फिर अकेला हूँ...




जिन्दगी सिसक रही थी    
ठहरा-ठहरा था सब,    
बेज़ार, बेरंग पतझड़ सा;    

तुम आई    
लगा जीना कुछ है    
एक उद्देश्य मिला था    
रोशनी देखी थी तुममें;    

    फिर हवा का झोंका आया
    ले गया नव-कुसुमित खुशियों को,
    रोशनी को, तुमको
    मुझसे छीन; कहीं दूर;

    एक बार फिर अँधेरा है
    फिर जिन्दगी वीरान है
    एक बार फिर अकेला हूँ मैं |

उक्त कविता Eric Segal के उपन्यास 'Love Story' से प्रभावित है|
आशा है आपको पसंद आई - अनाड़ी Ashish