नमस्ते, पाठकों | आँखें कभी छुपाये रहती हैं कितनी ख्वाहिसें कितने सपने और कभी कितनी सहजता से कहे देती हैं कुछ अकथ कहानियां; प्रेम, खुशियाँ सुख-दुःख सब कुछ तो बयां करती आई हैं आँखें | सुंदरियों के नैना तो हमेशा से कवियों और गीतकारों को उलझाते आये हैं | प्रस्तुत पंक्तियाँ भी कुछ ऐसे ही भाव व्यक्त करती हैं...आशा है आपको पसंद आएँगी |
-अनाड़ी Ashish
रात सी काली स्याह आँखें
जिनमें जीवन के अनकहे-अनछुए रहस्य छुपते हों,
अँधेरे में;
तारों सी चमकीली आँखें
जहाँ ताकने पर हताशा को भी एक किरण दिखाई दे,
आशा की;
कमलिनी सी कोमल आँखें
जो हजारों इच्छाएं और लाखो सपने संजोये हो,
परत दर परत;
सीपिया सजल आँखें
जिनमें अश्रु-पूरित मोतियों के भण्डार भरे हों,
असीमित, अनंत;
नशीली, शर्मीली आँखें
जिनकी झलक मधुशाला के नशे को फीका कर दे;
ऐसी आँखों में
झांकने का,
डूबने का, उतराने का,
मन करता है|